माँ की पाती बेटी के नाम
लाडो!!!
“कल तक जो नन्ही सी लली थी!!
कोमल सी जूही की कली थी।”
आज इस गीत के एक एक शब्द में जीवन का साक्ष्य नज़र आ रहा है।
पहले तो हम बेटियाँ एक ही बार विदा होती थी “शादी के वक़्त”,और उम्र भर के लिए पराई हो जाती थी।आज के दौर में तुम्हे पढ़ने भेजना भी तुम्हारी विदा सा ही कठिन है।
जब तुम्हे पहली बार हाथो में लिया तो मानो तुम्हारे साथ पुनः जन्म लिया हो।तुम संग फिर से मैं भी बढ़ने लगी। सम्पूर्ण ज्ञान,सारा अनुभव जो भी था,वो सब तुम्हे धरोहर की तरह सौंपा।यह तुम्हारा सौभाग्य था के तुम एक संयुक्त परिवार में पली बढ़ी।
पापा की लाड़ली हमेशा कहती है ना के ज़िंदगी जीना तुम्हे पापा ने सिखाया।कभी किसी से डरना नही।”शेर भी आएगा तो एक बार मे नही खा जाएगा।” और दूसरा के-“दुनिया तुम्हे नाम से तब ही जानती है,जब तुम्हारे पास पैसा बेशुमार हो या हुनर हो।जिंदगी में पैसा तो शायद आज हो कल न हो परन्तु तुम्हारा हुनर तुमसे कोई नही छीन सकता।”
बिट्टो!! जो हम कर सकते थे हमने किया ,अब तुम्हे उसका सदउपयोग कर अपने जीवन को उज्ज्वल बनाना है। आज जिस परिवेश में हम जी रहे है।सब अपने लिए जीने लगे।” डिग्री तुम्हारा भविष्य सुनिश्चित करेगी,परन्तु तुम्हे अपने संस्कारों से अच्छा व्यक्ति बनना है।देश के लिए,समाज के लिए उदाहरण बनना है।आजकल समाज से जाने क्यों बच्चे दूर हो रहे है,पर तुमसे यही अपेक्षा रखती हूं के तुम समाज के लिए जियो ।”खुद के लिए तो सब जीते है,जो दूसरों के लिए जीये वही महान बनते है।”
याद रखना गुड़िया!! कभी कुछ गलती भी हो, तो स्वाभिमान के साथ स्वीकार करना,अपने आत्मविश्वास को बनाये रखना। वक़्त या परिस्थिति कितनी भी दुर्लभ हो,अपने आदर्शों पर आँच नही आने देना क्यूँकि “बाहर का शोर तो बंद होजाता है,पर अंदर का शोर सुकून छीन लेता है।”
जीवन के हर पल का आनंद लेना।
बिट्टो!! हम लड़कियोँ का जीवन डोर से बंधी पतंग की तरह ही होता है।विवाह से पूर्व पिता और विवाह पश्चात पति के अनुसार चलना होता है।उनकी दी आज़ादी के अनुसार ही हमारी उड़ान होती हैं।हमने तुम्हे आज़ादी भी दी पाबंध भी रखा।
मेरी बच्ची!! हमारी सोच में हमेशा फर्क होगा ही,पर जीवन मे समन्वय बनाके चलना पड़ता है।स्त्री को सहनशील होना होता है,सबके नज़रियों को समझकर सही फैसले लेने होते है।हमारे सपनो की, मर्यादा के नाम पर आहुति देनी ही पड़ती है। परंतु लाडो!! यही विशेषता है एक स्त्री होने की सबकुछ सह कर भी खुश रहना,टूटना नही। हर वक़्त “कृष्ण की तर्जनी की तरह समस्याओं के गोवेर्धन को उठाना ही पड़ता है।”
समस्या को बड़ा समझो तो हम पर हावी होती है।और सामना करो तो समाप्त हो जाती है।”
याद रहे बेटू!!भले ही धन दौलत न मिलें, बड़ो का आशीष,रिश्तों का अपनापन,मान-सम्मान होना बेहद अहम है।जीवन मे अगर सबकुछ हो और अपने ही न हो तो जीवन व्यर्थ है।हर लड़की एक पौधे सी बढ़ती है और फिर अपनी जड़ें समेटे एक नया आँगन सजाती हैं।
हर व्यक्ति,हर दिन कुछ सिखाता है।और जो इनसे सीख कर बढ़ता जाए वही उन्नति पाता हैं।अपने जीवन से मुस्कुराहट कभी गुम न होने देना।
आशीर्वाद।
तुम्हारी माँ!!
KHUSHBOO NAHAR
A budding writer from Pipariya, Madhya Pradesh
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